Sagar -:देवरी नगर में मनाई गई ईद-उल-अजहा बकरा ईद का पर्व, हिंदुस्तान में अमन चेन कायम रहने और देश में भाईचारा बना रहने की मांगी दुआ। The State Halchal News

देवरी कलाँ-: पूरे देश और दुनिया में मुस्लिम धर्मावलंबियों द्वारा अपने ईश्वर अल्लाह की फरमाबरदारी और त्याग बलिदान के प्रतीक का पर्व ईद उल अजहा बकरा ईद का त्यौहार मनाया गया जिसमे देवरी नगर के मुस्लिम समुदाय के लोगों ने शनिवार को सुबह बड़ी संख्या में ईदगाह पहुंचकर ईद-उल-अजहा की नमाज अदा की इस अवसर पर जामा मस्जिद के इमाम मौलाना अकिल साहब ने सवा आठ बजे सामूहिक रूप से ईदगाह पर नमाज अदा कराई एवं नमाज के बाद दुआएं खास मांगी गई जिसमें अपने अल्लाह के सामने हाथ फैला कर अपने गुनाहों से तौबा करते हुए मगफिरत की दुआएं मांगी। और अपने मुल्क हिंदुस्तान में अमन चेन कायम रहने। और देश में भाईचारा बना रहने की दुआ मांगी गई।
इसके पूर्व बड़ी संख्या में उपस्थित समस्त मुस्लिम समुदाय को तकरीर ए बयांन करते हुए,कुर्बानी करने की फजीलत और उसका सबाब (फायदा) बताया। मोहम्मद अकिल मौलाना साहब ने बताया कि मुसलमानो के लिए उस हर शख्स पर कुर्बानी करना बाजिब हो जाती है जिसके पास साढ़े सात तोला सोना,एवं साढ़े बावन तोला चांदी हो या उसके बराबर नगद रकम या व्यापारिक सामान हो। तो उस पर कुर्बानी करना वाजिब हो जाता है। उन्होंने कहां की ईद-उल-अजहा के दिन कुर्बानी करने का सबसे बड़ा मकसद अल्लाह के हुक्म की पैरवी करना है और हजरत इब्राहिम अलैहिस्लाम सलाम की अजीम कुर्बानी को याद करना है आज के दिन हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने अल्लाह के हुकुम पर अपने प्यारे बेटे हजरत इस्माइल अलैहिस्लाम को कुर्बान करने के लिए तैयार हो गए थे लेकिन अल्लाह ने हजरत इब्राहिम अलैहिस्लाम की ईमानदारी फार्मा बरदारी को देखते हुए जन्नत से एक दुंबा भेज दिया और वह कुर्बान हो गया,इस तरह हजरत इब्राहिम अलैहिस्लाम के बेटे हजरत इस्माइल को अल्लाह ने बचा लिया, तब से लेकर आज तक यह कुर्बानी करने की परंपरा मुस्लिम धर्म में चली जा रही है। जिसे अल्लाह के प्रति फार्मा बरदारी त्याग और बलिदान का प्रतीक मना गया है।इसी लिए ईद-उल-अजहा बकरा ईद पर दुंबा, यानी बकरे की कुर्बानी की जाती है



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