इंफाल: मणिपुर में एक बार फिर से तनाव का माहौल बन गया है। मैतेई समुदाय के एक प्रमुख नेता और अरामबाई तेंगगोल संगठन के सदस्य की गिरफ्तारी के बाद राज्य में हिंसक प्रदर्शन भड़क उठे। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए मणिपुर सरकार ने इंफाल वेस्ट, इंफाल ईस्ट, थौबल, ककचिंग और बिष्णुपुर जैसे पांच जिलों में इंटरनेट और मोबाइल डेटा सेवाओं को पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया है। यह आदेश शनिवार, 7 जून 2025 को रात 11:45 बजे से प्रभावी हो गया है।
क्या है मामला?
शनिवार शाम को इंफाल में मैतेई समुदाय के नेता की गिरफ्तारी की खबर फैलते ही क्वाकेथेल और उरिपोक जैसे क्षेत्रों में प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर हंगामा शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर टायर और फर्नीचर जलाए, जिसके कारण कई जगहों पर आगजनी की घटनाएं हुईं। प्रदर्शनकारी अपने नेता की रिहाई की मांग कर रहे थे। कुछ खबरों के अनुसार, यह गिरफ्तारी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा दोपहर 2:30 बजे के आसपास की गई थी, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
सरकार का कड़ा रुख
मणिपुर सरकार ने कानून-व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए तत्काल प्रभाव से इंटरनेट सेवाएं बंद करने का फैसला लिया। गृह विभाग के आयुक्त एन. अशोक कुमार द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि कुछ असामाजिक तत्व सोशल मीडिया के जरिए भड़काऊ सामग्री, जैसे तस्वीरें, हेट स्पीच और वीडियो, फैला सकते हैं, जिससे कानून-व्यवस्था और बिगड़ सकती है। इस आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
इसके साथ ही, बिष्णुपुर जिले में कर्फ्यू लागू कर दिया गया है, जबकि इंफाल ईस्ट, इंफाल वेस्ट, थौबल और ककचिंग में पांच से अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। अतिरिक्त सुरक्षा बलों को तनावग्रस्त क्षेत्रों में तैनात किया गया है ताकि स्थिति को नियंत्रण में रखा जा सके।[]
सुरक्षा बलों की कार्रवाई और राजनीतिक प्रतिक्रिया
प्रदर्शनकारियों के हिंसक रवैये के बीच, बीजेपी सांसद लेशemba सनाजाओबा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें वे सुरक्षा बलों से भिड़ते नजर आए और अपनी गिरफ्तारी की मांग करते दिखे। यह घटना तब हुई जब प्रदर्शनकारी अपने नेता की रिहाई के लिए सड़कों पर उतरे थे।[]
मणिपुर में पिछले दो वर्षों से मैतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच जातीय हिंसा जारी है, जिसमें 250 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और लगभग 60,000 लोग विस्थापित होकर राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। हाल के महीनों में सुरक्षा बलों ने कई उग्रवादियों को गिरफ्तार किया है और हथियार बरामद किए हैं, लेकिन ताजा घटनाक्रम ने एक बार फिर राज्य में अशांति पैदा कर दी है।[]
केंद्र और राज्य सरकार की स्थिति
मणिपुर में फरवरी 2025 से राष्ट्रपति शासन लागू है, जब पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया था। हाल ही में 44 विधायकों के समर्थन के साथ एनडीए ने राज्य में "लोकप्रिय सरकार" बनाने की मांग की थी, लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है। सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार की प्राथमिकता शांति स्थापित करना है, न कि तत्काल सरकार गठन।[]
आगे क्या?
मणिपुर में तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए केंद्र और राज्य प्रशासन सतर्कता बरत रहे हैं। सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रतिनिधि कुकी-जो उग्रवादी समूहों के साथ बैठक करने वाले हैं, जो सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस (एसओओ) समझौते के हस्ताक्षरकर्ता हैं। इस बीच, मणिपुर हाई कोर्ट के उस आदेश ने भी तनाव बढ़ाया है, जिसमें मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का निर्देश दिया गया था।[]
राज्य में शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों और मणिपुर की जनता को राहत मिल सके।
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