गोटेगांव-:कभी जबलपुर-इटारसी रेलखंड की शान मानी जाने वाली विंध्याचल एक्सप्रेस आज अपनी घंटों की देरी और अव्यवस्थाओं के चलते आम जनता के लिए मुसीबत का पर्याय बन गई है। यह ट्रेन जो कभी गरीब, मजदूर, विद्यार्थियों और नौकरीपेशा लोगों की पहली पसंद हुआ करती थी, अब अपनी नियमित लेटलतीफी से यात्रियों की उम्मीदों पर पानी फेर रही है।
*चार से पाँच घंटे की देरी बन चुकी है 'नियमित'*
जहाँ पहले यह ट्रेन अपने समय पर चलकर यात्रियों को सुबह-सुबह गंतव्य तक पहुँचाया करती थी, वहीं अब यह नियमित तौर पर 4 से 5 घंटे की देरी से चल रही है।इस कारण स्कूली छात्र, कॉलेज के विद्यार्थी, दैनिक वेतनभोगी, प्राइवेट जॉब करने वाले और छोटे कारोबारी वर्ग का भारी नुकसान हो रहा है। सबसे ज़्यादा असर गोटेगांव, करकबेल, बेलखेड़ा, नरसिंहपुर, करेली, गाडरवाड़ा, सालीचौका, पिपरिया और बनखेड़ी जैसे छोटे स्टेशनों से यात्रा करने वालों पर पड़ रहा है।
समय से चलने वाली ट्रेन अब 'अविश्वसनीय' बन गई
यात्रियों का कहना है कि शादी-ब्याह, इलाज, कोचिंग, परीक्षा या किसी आवश्यक कार्य के लिए अब इस ट्रेन पर भरोसा करना मुश्किल हो गया है।
रेलवे एक ओर इस ट्रेन को 'स्पेशल' ट्रेन की श्रेणी में डालकर अधिक किराया वसूलता है, लेकिन सुविधाएँ ना के बराबर हैं। न तो साफ-सफाई रहती है और ऊपर से लेटलतीफी से अलग परेशान हैं।"पहले यही ट्रेन हमारी ज़िंदगी का हिस्सा थी, अब यह हमारे समय और पैसे दोनों को खा रही है। गर्मी में घंटों इंतजार करना पड़ता है।
इस रूट के नियमित यात्रियों और सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि इस ट्रेन की समयबद्धता सुनिश्चित की जाए और इसे सामान्य एक्सप्रेस श्रेणी की तरह नियमित एवं जिम्मेदार प्रबंधन के तहत संचालित किया जाए। अगर ट्रेन को समय से नहीं चलाया जा सकता तो वैकल्पिक सुविधा दी जाए या किराया कम किया जाए।
यह सिर्फ एक ट्रेन की बात नहीं, यह सवाल लाखों आम लोगों की दिनचर्या, उनके भविष्य और आत्मसम्मान का है।
जबलपुर-इटारसी खंड के छोटे-छोटे स्टेशनों जैसे भेड़ाघाट, भिटौनी, विक्रमपुर, गोटेगांव, करकबेल, बेलखेड़ा, नरसिंहपुर, करेली, बोहानी, गाडरवाड़ा, सालीचौका, साईंखेड़ा रोड, बनखेड़ी, पिपरिया, सोहागपुर और गुरामखेड़ी जैसे स्टेशनों से प्रतिदिन हजारों यात्री इस ट्रेन पर निर्भर रहते हैं।
*क्या रेलवे प्रशासन जागेगा?*
अब यह देखना होगा कि रेल प्रशासन इस ओर गंभीरता से ध्यान देता है या नहीं। ग्रामीण और निम्न-मध्यमवर्गीय जनता की यह माँग है कि विंध्याचल एक्सप्रेस को फिर से भरोसेमंद बनाया जाए।
*वास्तविक पीड़ितों की ज़ुबानी*
*आरती विश्वकर्मा,* जो कि करकबेल से नरसिंहपुर कॉलेज जाती हैं, बताती हैं, जब जब ट्रेन लेट होती है तो उस दिन क्लास छूट जाती है। कई बार तो लौटना ही पड़ता है। घरवाले भी चिंतित रहते हैं। इस ट्रेन के भरोसे हम रह नहीं सकते अब।"
*शंकर यादव,* एक दिहाड़ी मजदूर जो करकबेल से करेली जाते हैं, कहते हैं,"काम पर देर से पहुँचते हैं तो ठेकेदार पैसे काट लेता है। किराया एक्सप्रेस का दे रहे हैं, लेकिन हालत पैसेंजर से भी खराब है।
संवाददाता - रामबाबू पटेल गोटेगांव, जिला नरसिंहपुर (मध्यप्रदेश)
0 टिप्पणियाँ