देवरी कलां:- ग्राम धुलतरा(बिजोरा)में तिवारी परिवार द्वारा आयोजित संगीतमय श्री राम कथा के छटवें दिवस पंडित सुनील शास्त्री (गोलू महाराज) ने बताया कि रामायण ग्रंथ के अनुसार प्रभु श्रीराम अयोध्या नगरी में अवतरित हुए थे.भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को 14 वर्षों का वनवास मिला था.उनके साथ उनकी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण वन में गए थे,वे अयोध्या से निकलकर कई जगहों पर रहे और अंत में समुद्र तट पार करके लंका पहुंचे.राम ने अपने पिता राजा दशरथ का वादा निभाने के लिए वनवास का फ़ैसला लिया था.वन जाने की बात पर सीता ने राम से कहा था,"मेरे पिता का आदेश है कि मैं हमेशा छाया की तरह आपके साथ रहूं,इसलिए मैं भी आपके साथ वन में जाऊंगी".अयोध्या में श्रीराम को जब वनवास हुआ तो वे सबसे पहले तमसा नदी पहुंचे, जो अयोध्या से 20 किमी दूर है, इसके बाद उन्होंने गोमती नदी पार की और प्रयागराज (इलाहाबाद) से 20-22 किलोमीटर दूर वे श्रृंगवेरपुर पहुंचे, जो निषादराज गुह का राज्य था. यहीं पर प्रभु श्रीराम ने गंगा के तट पर केवट से गंगा पार करने को कहा था. रमायण में इलाहाबाद से 22 मील उत्तर-पश्चिम की ओर स्थित 'सिंगरौर' इस नगर का उल्लेख आता है. यह नगर गंगा घाटी के तट पर स्थित था.राम,सीता,और लक्ष्मण भारत के कई हिस्सों में रहे.दंडकारण्य वन,जो विंध्याचल पर्वत से गोदावरी तक फैला है, वहां राम बहुत दिनों तक रहे थे
संवाददाता - रामबाबू पटेल देवरी कला, जिला सागर (मध्यप्रदेश)
0 टिप्पणियाँ