श्रीमद् भागवत कथा में परीक्षित के जन्म एवं कर्म का वृत्तांत सुनाया हम जैंसा कर्म करेंगे बैंसा ही फल पाऐंगे:- दीपेश्वरी देवी

देवरीकलां:-देवरी नगर के प्रशिद्ध कोष्टी मंदिर दरबार कौशल किशोर वार्ड में समस्त युवा कोष्टी समाज देवरी द्वारा भव्य श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। जहां कथा प्रवक्ता मानस माधुरी दीपेश्वरी देवी जी(श्रीधाम वृन्दावन)के मुखारविंद से कथा का रसपान कराया जा रहा है। श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस मानस माधुरी दीपेश्वरी जी ने राजा परीक्षित के जन्म की कथा सुनाई,उन्होंने कहा है कि युद्ध में गुरु द्रोण के मारे जाने से क्रोधित होकर उनके पुत्र अश्वत्थामा ने क्रोधित होकर पांडवों को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र चलाया था।तब मां उत्तरा भगवान की शरण में गईं। तब सबके पालनहार श्री कृष्ण ने उनकी रक्षा की,इस प्रकार भक्ति की शक्ति से पत्नी उत्तरा के गर्भ से परीक्षित का जन्म हुआ।मानस माधुरी दीपेश्वरी देवी ने बताया कि परीक्षित जब राजा बन जाते हैं,तभी कलियुग का प्रथम चरण शुरू होता हैं। उन्होंने कहा कि कलियुग में भगवान को प्राप्त करने का सबसे अच्छा उपाय भक्ति है।भगवान का नाम जपें। कभी भी किसी का बुरा न करें।कोई पाप न करें,क्योंकि स्मरण रहे कि इस दुनिया में कर्म फल ही लेकर जाना है। सद्कर्म के लिए ही भगवान ने हमें भेजा है। किसी के साथ अच्छा न कर सको तो बुरा भी न करें। किसी के जीवन में फूल न बरसा सके तो कांटे भी उसके रास्ते में न डालें।कथा में तीसरे दिन कथा श्रवण करने आशीष गुरु पूर्व पार्षद,दिलीप कोष्टी,सत्तू कोष्टी,अनंतराम पंडित,हरिशंकर दुबे,जमना कोष्टी,हुकुम कोष्टी,कैलाश कोष्टी,छोटू,दुलीचंद कोष्टी,मनोज कोष्टी सहित बड़ी संख्या में महिला-पुरूष कथा सुनने पहुंचे
संवाददाता - रामबाबू पटैल, जिला सागर (मध्यप्रदेश) 
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