मौ| मौ कस्बा में हिंदी उर्दू साहित्य संगम का आयोजन नगर के प्रख्यात शायर मौलाना नियामततुल्लाह के निवास पर आयोजित किया गया।साहित्य समागम में अनेक कवि जनों ने गजल एवं काव्य रचनाओं का पाठ किया कार्यक्रम की शदारत मास्टर जगदीश और निजामत डाक्टर दिनेश जैन ने की इस अवसर पर नगर के प्रख्यात कवि मौलाना नियमत्तुल्लाह,खलील अहमद , अब्दुल हामिद,सर आताउल्लाह,अमीन नात खाँ
सुनने के लिये पधारे श्रोताओं में , विनोद,उमा शंकर सोनी ,हिकमत खान,मोहसिन खान, अरवाज खान,मास्टर दिनेश,
प्रकाश जैन,ज्ञान चन्द्र जैनबउपस्थित थे इस अवसर पर मौलाना नियमतुल्लाह ने एक दोहा कहा"कांटा छीला छेद किये बनी बांसुरी जाय,खुस करने को और को विपदा भारी आय"
वहीं महफिल में शायर अब्दुल हमीद की गजल ने शमा बांध दिया। खुशियों को हासिल करने का भरम क्यों है, जब गम ही जिंदगी है तो गम क्यों है| जब कमी नहीं दुनिया में इंसानों की, तो इंसानियत इतनी कम क्यों है। साजिश के तहत है सब जो नफरत है जमाने में।भ्रष्टाचारी लगे मिलकर देश को लूट खाने में।प्रशासन से यहां उम्मीद तुम ना न्याय की रखना।यहां इंसाफ का पैसा लगे है जेल थाने में।धर्म के नाम पर इंसा यहां जो जुल्म करता है।ये दरिया है गुनाहों का लगा क्यों डूब जाने में।सता ना छोड़ दे मजलूम को गर खेर चाहे तो।उसे एक पल लगेगा बस तेरी हस्ती मिटाने में
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