केसली। सहजपुर से शासन की उपेक्षा के शिकार 265 लड़कों एवं 42 चौरसिया परिवारों का पलायन घरों में लगे ताले


इस समय सागर जिले के प्रमुख पान उत्पादन ग्राम सहजपुर के हाल बेहाल है  यहां का प्रसिध्द सागरी देशी बंगला पान पर शासन की बुरी नजर लग जाने के कारण आज पान व्यवसाय रसातल की ओर जाने की स्थिति में है बता दें कि बुंदेलखंड के सागर जिला अंतर्गत सहजपुर ग्राम जो देवरी विधानसभा क्षेत्र एवं केसली तहसील के अंतिम छोर पर स्थित है पहले सहजपुर  कस्बा पक्के सड़क मार्गो से अछूता  होने के कारण कठिनपुर के नाम से ज्यादा मशहूर था लेकिन जब से पक्के मार्ग बने हैं तभी से यह अपनीअसली पहचान बनाने मे सफल हुआ है पान उत्पादन मे अग्रणी सहजपुर ने उस समय पान की अच्छी किस्म को लेकर उत्पादन मे  जो महारत व लोकप्रियता हासिल की थी वह अब मध्यप्रदेश शासन की घोर उपेक्षा के कारण पतन की कगार पर है चौरसिया समाज बाहुल्य सहजपुर मे चौरसियो का पान बरेजा  ही मुख्य रोजगार है और था लेकिन अब हालात यह है की शासन की गलत नीतियो व उपेक्षा के चलते पान बरेजे मिटते जा रहे है इन्हे शासन ने फिर बनाने व इन्हे आधुनिक संसाधन सुविधाये आर्थिक सहायता  तथा पान उत्पादन का वैज्ञानिक प्रशिक्षण  मुहैया कराने की बजाय इसकी तरफ हमेशा ही हिकारत भरी नजरो से देखा गया  आज स्थिति यह है की लोगो को पान बरेजे छोडकर अपनी आजीविका चलाने हेतु  मजबूरन  सपरिवार पलायन करना पड रहा है बता दे की अब तक सहजपुर से चौरसिया परिवार के 265 लड़के व करीब 42 परिवार पलायन कर चुके हैं उनके घरो मे आज अलीगढ के  ताले लगे हुए है इन ताला बंद घरो की स्थिति भी अब खंडहर व गिरने जैसी हो गई है बता दें की  अभी जो चौरसिया  परिवार सहजपुर मे  बचे है वह भी शासन की नीतियों  से परेशान होकर पलायन को तैयार बैठे है यदि शेष बचे चौरसियो  को बरेजो के लिए शासन व्दारा वन विभाग के माध्यम से निस्तारी लकडी कुरैया बांस बकौडा लम्बी घास सस्ते दाम पर सहज सुलभ नही कराई जाती तो  शेष बचे नाम मात्र के बरेजे भी छपरा बरकौटी देवरी की तरह  नेस्तनाबूद  हो जावेगे इतिहास बनते जा रहे चौरसियो के प्राचीन कालीन पान बरेजे भी अब कुछ समय के मेहमान है इस सम्बन्ध मे पुस्तैनी पान बरेजो से जुडे चौरसिया लोगो ने हमारे संवाददाता को बताया है की पान की खेती बहुत ही मेहनती व संवेदनशील होती है जो कडाके की ठण्ड शीत लहर ,तेज धूप लू तेज आंधी तूफान वारिस ओलावृष्टि आदि को नही सह पाती और यह बरेजो मे खडी लाखो की पान फसल नष्ट हो जाती है ऐसे मे पान बरेजा पीडितो को शासन आर्थिक सहायता देने की बजाय किनारा कर उन्हे मझधार  मे छोड देती है यही कारण है की आर्थिक रूप से बुरी तरह टूट व तबाह हो चुके लोगो के पास पलायन ही एक मात्र बिकल्प बचता है शासन ने पान बरेजो  के जमे जमाये धन्धे को जिसमे सैकडो परिवार के  हजारो बेरोजगारो को रोजगार व स्थाई काम धन्धे गांव मे ही सहजता से मिले हुए है ऐसे  उजड़ते हुए पान बरेजा  व्यवसाय को उन्नत नही होने दिया और यह औषधीय व स्वास्थ्य वर्धक पान खेती आज पूरी तरह मिटने की कगार पर है मध्यप्रदेश के मुख्य मंत्री माननीय डा मोहन यादव यदि इस ओर गम्भीरता पूर्वक ध्यान देकर उजडते पान बरेजो व बिखरते चौरसिया परिवारो को पलायन से रोक पाते है तो वह एक कामयाब  मुख्य मंत्री सावित हो सकते है

ललित चढ़ार पत्रकार गौरझामर 


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