खाकी की आड़ में शहर में फल-फूल रहा सट्टे का कारोबार,सट्टे माफिया हर महीने की एक तारिक को पूज देते है पुलिस को

खाकी की आड़ में शहर में फल-फूल रहा सट्टे का कारोबार,सट्टे माफिया हर महीने की एक तारिक को पूज देते है पुलिस को 


आनंद सिंह कुशवाह  

 भिण्डl शहर में लगभग सभी मोहल्ले में सट्टेबाज खुल कर कर रहे भोली-भाली जनता के साथ खिलवाड़ ज्यादातर सट्टा खिलाने वाले पुलिस से मिलकर हफ्ता बांध देते हैं और हर महीने की एक तारीख को सट्टे बाज पुलिस को पूज देते है जिससे उन्हें कोई डर नहीं रहता और खुलकर करते हैं सट्टे का अवैध व्यापार इससे पहले प्रदेश में लॉटरियों चला करती थी जगह-जगह पर लॉटरियों के काउंटर लगे होते थे  गरीब जनता इन लॉटरियों को खरीद तिथि हार जाने के बाद पारिवारिक कलह व औरतों के जेवर तक बेच देते थे पुरुष और कई प्रकरण ऐसे भी सामने आए हैं जुए में दबे लोगों ने आत्महत्या तक कर ली और तो और मजदूरी करके आए हुए व्यक्ति पैसा लगाकर दुगना करने की सोच में जब हारते हैं तो सीधे शराब की दुकान पर जाकर पैग लगाते हैं घर में जब औरत उनसे खाना बनाने के लिए जब पैसे मांगती है तो  यही व्यक्ति हार व नशे की दूत में अपनी पत्नी की जमकर मारपीट करते है  तथा उदार कर्ज लेकर पुनः इसी दलदल में खुद जाते हैं जब कर्ज का बोझ ज्यादा चढ़ जाता है तो यही व्यक्ति चोरी लूट पाट जैसी घटनाएं करने में  कोई कसर नहीं छोड़ते लेकिन सट्टा खिलाने वालों को कोई फर्क नहीं पड़ता उनकी जमकर जेब भर्ती है गरीब व्यक्ति मरे तो मरे  लेकिन उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता वह तो सिर्फ पुलिस को ही अपना भगवान मानते हैं और तो ओर पुलिस भी इन सट्टा खिलाने वालों से अच्छा तालमेल बनाए रहती है जिससे उनकी मिल रही रिश्वत में बढ़ावा आजाता है और यह सत्य भी है बिना खाकी कोई अवैध कार्यसभव नहीं है और तो और अवैध कार्य खाकी की सह पर नही  होते जो अवैध कार्य अनजान होते हैं  उन्हें तुरंत पकड़ लिया जाता है उनके पास से मिलने वाला पैसा हजम कर लिया जाता है और उसके अतिरिक्त भी मोटी रकम पुलिस एंड लेती है  इसी तरह के अगर कोई  मैटर मीडिया के पास पहुंच जाए तो उन्हें तुरंत पुलिस फसा देती है ऐसी धाराओं में मुकदमा दर्ज करती है कि जमानत के लाले पड़ जाएं इस तरह के सट्टेबाजों को ऐसे दिन इसलिए देखने को मिलते हैं कि रिश्वत ना देने का अंजाम भुगत ते है अगर खाकी चाहे तो भ्रष्टाचार बंद हो जाए लेकिन खाकी कुछ नहीं करती

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