भिण्ड| मानवता ईश्वर के लिए कल्याण संस्था परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अब्दुल हमीद मैं मीडिया के माध्यम से कहा है कि बंदूक की जोर पर हुकूमत करना इस्लाम के खिलाफ है और इंसानियत के खिलाफ भी वह चाहे अमेरिका करें या तालिबान हामिद ने आगे कहा है कि इस्लाम में और इंसानियत में दोनों में ही जबरन कुछ भी कर आना जायज नहीं है देखने को मिलता है कि तालिबान जबरन महिलाओं के बुर्के के लिए दबाव बनाने और मर्दो को जबरन दाढ़ी रख बाने के लिए जोर जबरदस्ती करना नाइयों की दुकान को जला देना यह इस्लाम के और इंसानियत के दोनों के ही खिलाफ है ,
आइए बात करते हैं अमेरिका की
आप बीस वर्ष पहले के वह हालात याद कीजिये जब अमेरिका मरखने सांड की तरह गुस्से में भरा हुआ अफगानिस्तान पर चढ़ दौड़ा था, और तालिबान को नेस्त व नाबूद करने के नाम पर क्लिस्टर बम बरसाए थे, जिसके नतीजे में हज़ारों आम अफगानी बच्चे महिलाएं बूज़ुर्ग मारे गए, और कितने अपंग हुए, और लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ा।
ग्वांतानामोबे और बगराम एयरबेस की जेल में अमेरिकन फौजी मुस्लिम कैदियों पर थूकते, पेशाब करते, नँगा करके लाइन में खड़ा कर देते, गुप्तांगों पर सिगरेट से दागते, नँगा करके कुत्तों को छोड़ते, घण्टो एक छोटे से पिंजरे में एक पोजीशन पर पड़ा रहने देते, ऐसे फौजी जिन्होंने किसी को शूट नही किया उन्हें कहा गया कि कैदियों पर हाथ साफ कर लो, क्रूरता की ऐसी मिसाल कायम की गई कि हिटलर शर्मा जाए।
लेकिन अमेरिका बहादुर के काले कारनामो पर किसी मानवतावादी के मुंह से उत्तर नहीं निकला सच बोलना और सच सुनना दोनों ही थोड़े मुश्किल होते हैं गलत तो गलत होता है वह चाय अमेरिका करें तालिबान करे पाकिस्तान करे या दुनिया का कोई भी देश बंदूक की नोक पर हुकूमत करना इंसानियत के और हर मजहब के खिलाफ है डरा कर लोगों को जो जीते हैं वह किसी धर्म से नहीं है और ना ही इंसान हैं
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